शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

सपनों से भरे नैना...

''सपनों से भरे नैना ना नींद है ना चैना...'' सच ही तो है जब आँखों में सपने हो तो भला नींद कि उसमें जगह ही कहाँ रह जाती है. कुछ कर गुजरने का जज्बा आपको चैन ही नहीं लेने देता. दिलो दिमाग में हजारों अरमान जब जन्म लेते है तो किसी और चीज के लिए फिर जगह ही नहीं बचती है. ये सपने देखना कितना आसन है ना... लेकिन जब इन्हें पूरा करने का वक़्त आता है तो हजारो रूकावटे सामने खड़ी नजर आती हैं. हम सोचते है और सब कहते भी हैं कि इरादा मजबूत और नेक हो तो हर मुसीबत का सामना आसानी से किया जा सकता है, लेकिन कई बार हमारे पैर कुछ ऐसे बंधनों से बंधे होते हैं जिनसे मुक्ति नहीं पाई जा सकती, क्योंकि कही ना कही वही बंधन हमारी ताकत भी है.
जब ये ताकत ही साथ ना रहे तो फिर सपने कैसे पूरे होंगे भला.... हां लेकिन ये भी सच है कि अगर सपनो से सच्चा प्यार है तो उन्हें पूरा करने के लिए कोई ना कोई तो रास्ता खोजना ही पड़ता है. ऐसे में हमें अपनी मंजिल को तय करने का शायद रास्ता बदलना पड़े. कोई ऐसा हो जो हिम्मत बढ़ाये सही गलत का अंतर समझाए तो राह आसन हो जाती है, लेकिन ऐसे इन्सान का साथ मिलना भी तो मिलना आसन भी नहीं है.
अब जब सपने देखे हैं तो इन्हें पूरा करने का वक़्त भी आ गया है और कुछ कोशिशे भी शुरू हो गई है अब देखना ये है कि सपने हकीकत में कब बदलते हैं....

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