जब तन्हाई में हम किसी बारे में सोचते है तो एक अलग ही दुनिया में चले जाते है जहाँ ना तो किसी तरह के बंधन हैं और ना कि किसी तरह का संकोच. कभी-कभी ये तन्हाई भी इतनी ख़ुशी देती ही अपनों का साथ भी कम लगने लगता है, तो कभी-कभी इस तन्हाई से दूर जाने के लिए हम किसी कि तलाश में डूब जाते है.
यकीनन तन्हाई के ये दो पहलु बहुत ही रोचक हैं. जब कभी भी सोचती हूँ कि आखिर तन्हाई को लेकर लोगो का नजरिया नकारात्मक क्यों है तो लगता है शायद लोग समझते है कि अकेलापन आपको मायूसी देता है, लेकिन हमेशा तो ऐसा नहीं होता. इस तन्हाई में आप कितना ही वक़्त अपने आपके बारे में सोचने में बिता देते हैं और तब आपको पता चलता है कि आखिर आप जीवन में क्या चाहते और क्या पा रहे हैं?
जिंदगी हर मोड़ पर नयी करवट लेती है, ऐसे में पता ही नहीं चाहता कि आखिर हमें जीवन में क्या चाहिए? ऐसा क्या है जो वाकई हमें ख़ुशी देगा और इन सबके बारे में सोचने के लिए हमें अपने लिए वक़्त निकलना होगा. तभी तो जान पायेगे कि हमारी प्राथमिकतायें क्या हैं? ऐसे में तन्हाई ही है जो समझा सकती है कि आपको किस चीज कि जरुरत है.
अपनी तन्हाई में बैठे हुए हम ढेरों सपने मन में पाल लेते है और तब अहसास होता है कि इस व्यस्त जिंदगी में हम क्या पीछे छोड़ चले थे.
आज जब तन्हाई के बारे कुछ कहने का मौका मिला है तो मुझे भी पहले तन्हाई कि ही जरुरत पड़ी ताकि जान सकू कि तन्हाई कि क्या अहमियत है इस जीवन में...