शनिवार, 25 जून 2011

मन बावरा...

'' दिल संभल जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू,
दिल यही रुक जा ज़रा, फिर मोहब्बत करने चला है तू.....''
बहुत ही खुबसूरत सोंग है. बहुत पसंद आया मुझे तो. वैसे एक बात तो है भले ही इमरान हाशमी कि फिल्मे बेहूदी होती हैं, लेकिन इनके सोंग्स तो कमाल होते हैं. आज दिन भर करने को कुछ खास नहीं था तो सोचा क्यों ना अपने संगीत के शौक को ही थोडा वक़्त दिया जाए. कई फिल्मों के सोंग्स सर्च कर डाले. ये गाने भी कमाल कि चीज है आपको अपने से दूर कर देते हैं. जब दिल को सुकून देने वाला कोई भी संगीत सुनते हैं तो मन तो ना जाने कौन सी ही दुनिया में चला जाता है. दिल के किसी कोने में फैली उदासी फिर से मन को कचोटने लगती है. वैसा ऐसा तो सबके साथ ही होता होगा ना! आपके आस पास बहुत से ऐसे लोग है जो आपको ख़ुशी देते है, लेकिन फिर भी ये उदासी है कि कम होने का नाम ही नहीं लेती है. सच ही कहा है कहने वाले ने
मन बावरा तुझे दूँनता... पाने कि खोने कि पैमैशे ... ज़ीने कि सारी मेरी खावैशे
आसमां ये जहा सब लगे ठहरा ... मन बावरा तुझे दुनता ..''
क्या कमाल गीत है.. अब तो आँखे ही भर आई है. राहत फतह अली साहब ने क्या खूब गया है. मै तो भावुक हो गई. सच में दिल पर उमर कि कोई सीमा नहीं है ये तो हर वक़्त बच्चा ही रहता है. बस ये तो दिमाग ही है जो हमें दुनियादारी कि सीमाओ में बांधे रखता है.
आज मन कर रहा है कि किसी दूसरी ही दुनिया में खो जाऊ.जहाँ किसी तरह कि कोई रोकटोक ही ना हो. मन अपनी कर सके... अब अपने आपको और मन कि भावनों को व्यक्त करने के शब्द खत्म हो रहे है, इसलिए अभी इस विषय को यही विराम देना होगा ...

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