बुधवार, 29 जून 2011

शर्मनाक...

देश के सबसे बड़े विश्व्विधायलों में से एक है हमारा राजस्थान विश्व्विधायालय. आज जो कुछ भी वहां के बारे में सुना और पढ़ा उससे तो मन शर्मसार हो गया. पीएचडी कराने के नाम पर अस्मत मांगने वाले प्रोफ़ेसर ने ना केवल शिक्षा जगत को शर्मसार किया है बल्कि गुरु शिष्य के पवित्र रिश्ते को भी दागदार कर दिया है. हाय रे हमारी किस्मत ... लड़की होना भी एक अपराध हो गया है.
अभी दो दिन पहले ही सीकर के एक नर्सिंग कॉलेज में भी कुछ ऐसा ही वाकया घटा था. समझ नहीं आ रहा है कि शिक्षा के मंदिरों में ये सब क्या चल रहा है? क्यों गुरु खुद ही अपने पद कि गरिमा को कलंकित कर रहे हैं? ऐसे गुरु को तो गुरु कहना भी उचित नहीं है. ऐसे लोग तो समाज में शराफत का नकाब पहने हुए दरिन्दे है. एक छात्रा को पीएचडी करने के नाम पर रिश्वत के साथ अस्मत मांगना आखिर किस गुरु का अधिकार है. रिश्वत का ये नया रूप तो काफी घिनौना है.
अब तो जो लड़कियां घर से बाहर निकलने से इसलिए डरती थी कि उन्हें राह चाहते सिरफिरे परेशान करते हैं, लगता है वो अब अपना शिक्षा का मौलिक अधिकार पाने के लिए शिक्षण संस्थाओं तक पहुँचाने से पहले भी दस बार सोचेंगी. लड़कियों में से इस डर को बाहर निकलने के लिए ऐसे अपराधियों को तो बड़ी कठोर सजा deni चाहिए. वैसे इन दोनों ही मामलों में राजस्थान पुलिस ने जो काम किया है वो वाकई तारीफे काबिल है. बस अब जरुरत इस बात कि है कि ये दोनों ही मामले अदालत तक अपने वास्तविक रूप में ही पहुंचे. चोट खाई हुई इन दोनों छात्राओं को न्याय मिल सके और उन दरिंदो को कड़ी सजा.
वैसे ऐसे मामलों ने भारतीय महिलाऐं कम ही मुंह खोलती हैं और अगर वे हिम्मत जुटा भी ले तो घर वाले और समाज उन्हें चुप करा देता है. ऐसे में बस जरुरत इस बात कि है कि समाज और परिवार ऐसी महिलाओं का हर कदम पर साथ दे और उनकी हिम्मत बढाये. हालाँकि, पिछले कुछ सालो में ऐसे मामलों के लिए कड़े कानून बनाये गए है, लेकिन फिर भी देश भर में ऐसे मामलों कि तादाद बढ़ी ही है. ऐसे में ये जरुरी हो गया है कि कानून के साथ समाज भी ऐसे दोषियों के खिलाफ कड़े कदम उठाये.
वही महिलाओं को भी अपनी सुरक्षा के लिए जागरूक रहना होगा. किसी भी दबाव में आये बिना अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी ही होगी. तभी वे सुरक्षित जीवन जी सकती हैं.

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